आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:-
यहां पर आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची दी गयी है। आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टानों के आधार पर हर परीक्षा में कुछ प्रश्न अवश्य पूछे जाते है, इसलिए यह आपकी सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइये जाने आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:-
चट्टाने प्रायः दो प्रकार की होती है: 1. आग्नेय 2. अवसादी
(1.) आग्नेय चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें ‘जलज’, ‘वायूढ़’ तथा ‘हिमनदीय’ प्रकार की होती हैं।
आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के ‘इग्निस’ से लिया गया है, जिसका सामान्य अर्थ अग्नि होता है।
आग्नेय चट्टान स्थूल परतरहित, कठोर संघनन एवं जीवाश्मरहित होती हैं।
ये चट्टानें आर्थिक रूप से बहुत ही सम्पन्न मानी गई हैं।
इन चट्टानों में चुम्बकीय लोहा, निकिल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज, सोना तथा प्लेटिनम आदि पाए जाते हैं।
झारखण्ड, भारत में पाया जाने वाला अभ्रक इन्हीं शैलों में मिलता है।
आग्नेय चट्टान कठोर चट्टानें हैं, जो रवेदार तथा दानेदार भी होती है।
इन चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
इनमें किसी भी प्रकार के जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं।
आग्नेय चट्टानों का अधिकांश विस्तार ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाया जाता है।
आग्नेय चट्टानों में लोहा, निकिल, सोना, शीशा, प्लेटिनम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
बेसाल्ट चट्टान में लोहे की मात्रा अधिक होती है।
काली मिटटी बेसाल्ट चट्टान के टूटने से बनती है।
बिटुमिनस कोयला आग्नेय चट्टान है।
कोयला, ग्रेफाइट और हीरे को कार्बन का अपररूप कहा जाता है।
ग्रेफाइट को पेंसिल लैड भी कहा जाता है।
ताप, दवाब, और रासायनिक क्रियाओं के कारण ये चट्टाने आगे चलकर कायांतरित होती है।
आग्नेय चट्टानों के कुछ उदाहरण:-
ग्रेनाइट – नीस
ग्रेवो – सरपेंटाइट
बेसाल्ट – सिस्ट
बिटुमिनस – ग्रेफाइट
(2). अवसादी चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें ‘जलज’, ‘वायूढ़’ तथा ‘हिमनदीय’ प्रकार की होती हैं। बलुआ पत्थर, चुना पत्थर, स्लेट, संगमरमर, लिग्नाइट, एन्थ्रासाइट ये अवसादी चट्टाने है।
अवसादी चट्टान परतदार होती है।
अवसादी चट्टानों में जीवाश्म पाया जाता है।
अवसादी चट्टानों में खनिज तेल पाया जाता है।
एन्थ्रासाइट कोयले में 90 % से ज्यादा कार्बन होता है।
लिग्नाइट को कोयले की सबसे उत्तम किस्म माना जाता है।
अवसादी चट्टानें अधिकांशत: परतदार रूप में पाई जाती हैं।
इनमें वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के जीवाश्म बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
इन चट्टानों में लौह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला, पीट, बालुका पत्थर एवं सीमेन्ट बनाने की चट्टान पाई जाती हैं।
खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतों के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए, तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो जाती है।
दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
आगरा क़िला तथा दिल्ली का लाल क़िला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों से ही बना है।
प्रमुख अवसादी शैलें हैं- बालुका पत्थर, चीका शेल, चूना पत्थर, खड़िया, नमक आदि।
अवसादी चट्टाने कायांतरित होकर क्वार्टजाइट बनती है।
अवसादी चट्टानों के कुछ उदाहरण
शैल – स्लेट
चुना पत्थर – संगमरमर
लिग्नाइट-एन्थ्रासाइट
स्लेट – फाइलाइट
फाइलाइट – सिस्ट
यहां पर आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची दी गयी है। आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टानों के आधार पर हर परीक्षा में कुछ प्रश्न अवश्य पूछे जाते है, इसलिए यह आपकी सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइये जाने आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:-
चट्टाने प्रायः दो प्रकार की होती है: 1. आग्नेय 2. अवसादी
(1.) आग्नेय चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें ‘जलज’, ‘वायूढ़’ तथा ‘हिमनदीय’ प्रकार की होती हैं।
आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के ‘इग्निस’ से लिया गया है, जिसका सामान्य अर्थ अग्नि होता है।
आग्नेय चट्टान स्थूल परतरहित, कठोर संघनन एवं जीवाश्मरहित होती हैं।
ये चट्टानें आर्थिक रूप से बहुत ही सम्पन्न मानी गई हैं।
इन चट्टानों में चुम्बकीय लोहा, निकिल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज, सोना तथा प्लेटिनम आदि पाए जाते हैं।
झारखण्ड, भारत में पाया जाने वाला अभ्रक इन्हीं शैलों में मिलता है।
आग्नेय चट्टान कठोर चट्टानें हैं, जो रवेदार तथा दानेदार भी होती है।
इन चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
इनमें किसी भी प्रकार के जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं।
आग्नेय चट्टानों का अधिकांश विस्तार ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाया जाता है।
आग्नेय चट्टानों में लोहा, निकिल, सोना, शीशा, प्लेटिनम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
बेसाल्ट चट्टान में लोहे की मात्रा अधिक होती है।
काली मिटटी बेसाल्ट चट्टान के टूटने से बनती है।
बिटुमिनस कोयला आग्नेय चट्टान है।
कोयला, ग्रेफाइट और हीरे को कार्बन का अपररूप कहा जाता है।
ग्रेफाइट को पेंसिल लैड भी कहा जाता है।
ताप, दवाब, और रासायनिक क्रियाओं के कारण ये चट्टाने आगे चलकर कायांतरित होती है।
आग्नेय चट्टानों के कुछ उदाहरण:-
ग्रेनाइट – नीस
ग्रेवो – सरपेंटाइट
बेसाल्ट – सिस्ट
बिटुमिनस – ग्रेफाइट
(2). अवसादी चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें ‘जलज’, ‘वायूढ़’ तथा ‘हिमनदीय’ प्रकार की होती हैं। बलुआ पत्थर, चुना पत्थर, स्लेट, संगमरमर, लिग्नाइट, एन्थ्रासाइट ये अवसादी चट्टाने है।
अवसादी चट्टान परतदार होती है।
अवसादी चट्टानों में जीवाश्म पाया जाता है।
अवसादी चट्टानों में खनिज तेल पाया जाता है।
एन्थ्रासाइट कोयले में 90 % से ज्यादा कार्बन होता है।
लिग्नाइट को कोयले की सबसे उत्तम किस्म माना जाता है।
अवसादी चट्टानें अधिकांशत: परतदार रूप में पाई जाती हैं।
इनमें वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के जीवाश्म बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
इन चट्टानों में लौह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला, पीट, बालुका पत्थर एवं सीमेन्ट बनाने की चट्टान पाई जाती हैं।
खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतों के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए, तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो जाती है।
दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
आगरा क़िला तथा दिल्ली का लाल क़िला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों से ही बना है।
प्रमुख अवसादी शैलें हैं- बालुका पत्थर, चीका शेल, चूना पत्थर, खड़िया, नमक आदि।
अवसादी चट्टाने कायांतरित होकर क्वार्टजाइट बनती है।
अवसादी चट्टानों के कुछ उदाहरण
शैल – स्लेट
चुना पत्थर – संगमरमर
लिग्नाइट-एन्थ्रासाइट
स्लेट – फाइलाइट
फाइलाइट – सिस्ट