पहले मुर्गी आई या अंडा जैसे 24 रोचक तथ्य
रोचक तथ्य और जानकारी Rochak Tathya Aur Jankari
यह पृष्ठ रोचक तथ्यों तथा प्रश्नों को समर्पित है इस पृष्ठ के माध्यम से कुछ अनसुलझे तथा रोचक प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया गया है यदि आपके पास भी कोई ऐसा प्रशन है तो टिप्पणी के माध्यम से हम तक पहुंचाएं
1. पहले मुर्गी आई या अंडा:
अगर एक शब्द में इसका उत्तर दिया जाए तो इसका उत्तर “मुर्गी” होगा आइए आपको समझाते हैं इसके पीछे का विज्ञान ! पृथ्वी पर जीवन की उत्पति समुंद्र से शुरू हुई है तथा सर्वप्रथम पृथ्वी पर एक कोशिकीय जीव बने थे तथा जीवन का विकास होते होते बहु-कोशिकीय जीव बने यह कोई एक-दो वर्ष में संभव नही हुआ बल्कि करोड़ों-अरबों वर्ष तक पृथ्वी पर हुए जटिल परिवर्तनों के कारण संभव हो सका है समुंद्री जीवों के बाद रेंगने वाले जीव आए जैसे कि सांप तथा उसके बाद डायनासौर अस्तित्व में आए इसी प्रकार जीवन का विकास मुर्गी जैसे जीव तक पहुंचा अब अंदाज़ा लगाया गया कि अंडा पहले बना होगा तथा उससे मुर्गी निकली होगी लेकिन लन्दन के शेफील्ड और वारविक विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च के दौरान पाया कि अंडे के खोल को बनने के लिए ओवोकलाइडीन नामक प्रोटीन की आवश्यकता होती है जो मुर्गी के अंडाशय में पैदा होता है जो इस बात को प्रमाणित करता है कि अंडे से पहले मुर्गी नामक जीव का विकास हुआ था
अगर एक शब्द में इसका उत्तर दिया जाए तो इसका उत्तर “मुर्गी” होगा आइए आपको समझाते हैं इसके पीछे का विज्ञान ! पृथ्वी पर जीवन की उत्पति समुंद्र से शुरू हुई है तथा सर्वप्रथम पृथ्वी पर एक कोशिकीय जीव बने थे तथा जीवन का विकास होते होते बहु-कोशिकीय जीव बने यह कोई एक-दो वर्ष में संभव नही हुआ बल्कि करोड़ों-अरबों वर्ष तक पृथ्वी पर हुए जटिल परिवर्तनों के कारण संभव हो सका है समुंद्री जीवों के बाद रेंगने वाले जीव आए जैसे कि सांप तथा उसके बाद डायनासौर अस्तित्व में आए इसी प्रकार जीवन का विकास मुर्गी जैसे जीव तक पहुंचा अब अंदाज़ा लगाया गया कि अंडा पहले बना होगा तथा उससे मुर्गी निकली होगी लेकिन लन्दन के शेफील्ड और वारविक विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च के दौरान पाया कि अंडे के खोल को बनने के लिए ओवोकलाइडीन नामक प्रोटीन की आवश्यकता होती है जो मुर्गी के अंडाशय में पैदा होता है जो इस बात को प्रमाणित करता है कि अंडे से पहले मुर्गी नामक जीव का विकास हुआ था
2. हथेलियों पर बाल क्यों नही उगते: मनुष्य के सारे शरीर पर बाल होते हैं कहीं पर ये बहुत अधिक विकसित होते हैं तो कहीं पर मामूली से हथेलियों तथा पांव के निचे के भाग पर बाल क्यों नही उगते इस प्रशन के उत्तर से पूर्व आपको पता होना चाहिए कि बाल आखिर होते क्या हैं बाल हमारे शरीर की मृत कोशिकाएं हैं जो बालों के रूप में बाहर निकलती हैं हमारे सारे शरीर की चमड़ी बहुत ही मुलायम होती हैं और अगर आप किसी सूक्षम दर्शी की मदद से देखेंगे तो पाएँगे कि हमारी त्वचा में सूक्षम छिद्र होते हैं जो पसीने तथा मृत कोश्काओं को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करते हैं जबकि हमारी हथेलियों में एक अन्य त्वचा की परत होती है जो शरीर के बाकि अंगो की अपेक्षा सख्त होती है जिस कारण वहाँ बाल नही उग पाते
3. क्या अकबर बीरबल की कहानियां वास्तविक हैं: अकबर तथा बीरबल की कहानियां बहुत ही लोकप्रिय हैं लेकिन ये सभी असत्य हैं तथा लोगों द्वारा बनाई गई मनगढ़ंत कहानियों में से एक हैं हालाँकि राजा अकबर अपने नवरत्नों में से एक बीरबल की हाजिर जवाबी की तारीफ करता था इन कहानियों का इतनी लोकप्रियता पाने का एक ओर कारण अकबर का मुस्लिम तथा बीरबल का हिन्दू होने के बावजूद एक दुसरे पर इतना विश्वास दर्शाना भी है
4. पहले अकबर की मृत्यु हुई या बीरबल की: बीरबल वर्ष 1586 में मृत्यु को प्राप्त हुआ जबकि अकबर 1605 में, बीरबल सैन्य तथा प्रशासनिक कार्यों का भार संभाले हुए था बीरबल को जब अकबर ने हजारों सैनिकों के साथ जैन खां की मदद करने के लिए भेजा गया तब अफगानियों द्वारा सभी सैनिकों तथा बीरबल की हत्या कर दी गई अकबर की फ़ौज बीरबल का मृत शरीर भी नही खोज पाई थी
5. यदि चंद्रमा पर एक भयंकर विस्फोट किया जाए जो पृथ्वी से दिखाई दे सके तो क्या उसकी आवाज भी हम तक पहुंचेगी: नही, क्योंकि ध्वनि को गति करने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है लेकिन पृथ्वी तथा चंद्रमा के मध्य निर्वात है जबकि प्रकाश को किसी माध्यम की आवश्यकता नही होती जिस कारण हम उस विस्फोट को देख तो पाएँगे लेकिन उसकी आवाज को नही सुन सकते
6. क्या पुनर्जन्म होता है: हर वस्तु या क्रिया के पीछे कोई ना कोई ऊर्जा होती है ठीक उसी प्रकार मनुष्य को भी कोई ऊर्जा चला रही है तथा ऊर्जा को ख़त्म नही किया जा सकता मात्र एक से दूरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है यह कथन भौतिकी रूप से शत प्रतिशत सत्य है लेकिन विज्ञान ने ना तो कभी पुनर्जन्म को माना है और ना ही नकारा है विज्ञान इस पर मौन धारण किए हुए है
7. चीटियाँ पंक्ति बनाकर क्यों चलती हैं: प्रत्येक चींटी चलते हुए अपने पीछे एक विशेष प्रकार की गंध (फेरोमोन) छोडती हुई चलती हैं जिसका अनुसरण कर पीछे वाली चींटी चलती है इसी प्रक्रिया को प्रत्येक चींटी दोहराती है तथा एक पंक्ति का रूप धारण कर लेती है किसी कारण वश यदि वह गंध कहीं से कट जाए या या कोई चींटी भटक जाए तो वह एक नया रास्ता इख्तियार करती है जिस कारण एक नई पंक्ति बन जाती है रास्ता बनाकर आगे चलने वाली चींटी को लीडर कहा जाता है
8. आसमान नीला क्यों दिखाई देता है: आसमान को अगर रात में देखें तो यह काला दिखाई देता है जो कि इसका वास्तविक रंग है लेकिन दिन में यह सफेद ना दिखाई देकर नीला दिखाई देता है जिसका कारण है सूर्य से आ रही किरणों (जो कि सात रंगों को समेटे हुए हैं) का बिखरना या प्रवर्तित होना है जो कि क्षोभ मंडल में उपस्थित धुल कणों, गैसों तथा पानी की बूंदों के कारण होता है सबसे ज्यादा बिखरने वाला रंग नीला तथा सबसे कम बिखरने वाला रंग लाल है जिस कारण नीला रंग हमारी आँखों तक सबसे अधिक पहुँचता है तथा आसमान हमें नीला दिखाई देता है रात के समय सूर्य का प्रकाश नही होता जिस कारण कोई रंग नही बिखरता तथा हमें क्षोभ मंडल के आर-पार दिखाई देता है तथा काला अन्तरिक्ष दिखाई देता है
9. इन्टरनेट पर सबसे पहली वेबसाइट कौन सी थी: इन्टरनेट की सबसे पहली वेबसाइट (cern.ch) थी जो कि वर्ष 1991 में बनाई गई थी यह वेबसाइट आज भी ऑनलाइन है यह वेबसाइट यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन की है लेकिन इसकी पहचान विश्व की प्रथम वेबसाइट के रूप में अधिक है
10. क्या वास्तव में एलियन हैं: शत प्रतिशत, एलियन हैं यद्धपि जब तक विज्ञान को भ्रम था कि सूर्य हमारी आकाशगंगा का केंद्र है तब तक एलियन होने पर संदेह था लेकिन जब यह पाया गया कि सूर्य मंदाकिनी के करोड़ों तारों में से एक है तथा मंदाकिनी के केंद्र से दूर स्थित अपना अस्तित्व बनाए हुए है तब एलियन के ना होने जैसा भ्रम भी समाप्त हो गया हालाँकि पृथ्वी जैसे दुसरे ग्रह पर मनुष्य जितने बुद्धिमान जीव हो या ना हों लेकिन जीवन अवश्य है
11. क्या पृथ्वी का विनाश होगा: निश्चित ही होगा, पृथ्वी तथा उस पर विकसित जीवन सूर्य पर निर्भर है आज से लगभग 5 अरब वर्ष पश्चात सूर्य जो कि पृथ्वी पर जीवन का कारण है स्वयं ही पृथ्वी को निगल जाएगा
12. क्या समय यात्रा संभव है: भारत के बच्चों तथा आम लोगों में इस विषय की जानकारी, रुचि तथा इस के बारे में जानने की सबसे अधिक जिज्ञासा तब उत्पन्न हुई जब उन्होंने अपने सुपर हीरो “शक्तिमान” को समय यात्रा कर अपने बचपन में जाकर अपने माता-पिता तथा अपने बचपन स्वरुप से मिलते हुए देखा लेकिन क्या वास्तव में ऐसा संभव है इसका हाँ या ना में उत्तर देना थोडा कठिन है हो सकता है भविष्य में ऐसा संभव हो लेकिन प्रशन ये उठता है कि अगर भविष्य में समय यात्रा करना संभव होगा तो भविष्य से कोई हमसे मिलने क्यों नही आया ये भी हो सकता है कि समय यात्री केवल दृश्य मात्र देख सके व कोई हस्तक्षेप करने में असमर्थ हो विज्ञान फिलहाल इस प्रशन का उत्तर दे पाने में सक्षम नही है
13. नाखून क्यों बढ़ते हैं: बालों की तरह ही नाखून भी शरीर की मृत कोशिकाएं हैं जो शरीर से बाहर निकलती हैं आम तौर पर समझा जाता है कि नाखूनों के किनारे बढ़ते हैं लेकिन यह सत्य नही है असल में नाखून की जड़ जो कि त्वचा के अन्दर धंसी हुई होती है वह बढती है जब नई कोशिकाओं का विकास होता है तो पुरानी कोशिकाओं को बाहर धकेलने की प्रक्रिया आरम्भ होती है नई कोशिकाएं पूरे के पूरे नाखून को धकेलती है तथा हमें नाखून के किनारे धीरे धीरे बढ़ते हुए प्रतीत होते हैं कैरोटीन नामक प्रोटीन से बने नाखून सख्त होते हैं तथा उँगलियों को सहारा भी देते हैं जिस कारण हम पेन/पेंसिल या अन्य किसी वस्तु को पकड़ पाने में सक्षम होते हैं
14. क्या नटवरलाल ने ताजमहल को बेच दिया था: जी हाँ... नटवर लाल जिसका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, ने ताजमहल ही नही बल्कि लाल किला तथा राष्ट्रपति भवन को बेच कर करोड़ो की ठगी की थी नटवरलाल ठग बनने से पहले वकालत करता था उसका दावा था कि अगर सरकार कहे तो वह ठगी कर इतना पैसा एकत्रित कर सकता है कि भारत पर जितना भी विदेशी कर्ज है उसे उतार सके
15. मनुष्य के शरीर का सबसे व्यस्त अंग कौन सा है: मनुष्य का शरीर एक प्रकार की मशीन है जो निरंतर चलती रहती है सामान्य तौर पर देखा जाए तो मनुष्य शरीर का प्रत्येक अंग लगभग हर समय व्यस्त ही रहता है लेकिन अगर सबसे व्यस्त अंग की बात की जाए तो इसका उत्तर प्राय: दो आधारों पर दिया जाएगा कुछ बुद्धिजीवी इसका उत्तर “मस्तिष्क” को मानते हैं जो कि हर समय व्यस्त रहता है यहाँ तक कि सोते समय भी हमारे मस्तिष्क में क्रियाएं होती रहती हैं जिन्हें हम “सपने” के रूप में भी देखते हैं इसलिए अगर कार्यों की संख्या के आधार पर देखा जाए तो मस्तिष्क ज्यादा व्यस्त है और अगर कार्य की निरंतरता तथा ऊर्जा के आधार पर देखा जाए तो “हृदय” अधिक व्यस्त है (उत्तर में विरोधाभास है)
16. क्या राम की कोई बहन थी: दक्षिण में प्रचलित रामायण के अनुसार राम की एक बड़ी बहन भी थी जिसका नाम शांता था जो कि राम, लक्षमण, भारत तथा शत्रुगन चारो भाइयों में सबसे बड़ी थी शांता के जन्म के कुछ वर्ष पश्चात राजा दशरथ - रानी कौशल्या ने अपनी इस पुत्री को राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी को गोद दे दिया था वर्षिणी राम की मौसी अर्थात कौशल्या की बहन थी शांता कभी अयोध्या नही आई इस विषय में एक अन्य लोककथा प्रचलित है जिसके अनुसार शांता के जन्म पश्चात अयोध्या में अकाल पड़ गया था जिसका कारण शांता को माना जाने लगा इस अकाल से बचने के लिए राजा दशरथ ने इस कन्या को वर्षिणी को में दान दे दिया था तथा दोबारा किसी अकाल से बचने के लिए दशरथ ने शांता को कभी भी अयोध्या नही बुलाया आपको बता दें कि दुनिया भर में अनेकों रामायण प्रचलित हैं जिनमें अलग अलग तथ्य मिलते हैं इन प्रचलित रामायण की संख्या 300 के भी पार है।
17. क्या धरती में छेद मात्र करके पानी निकालना जैसे तथ्य विज्ञान में संभव है: जी हाँ... आपको शायद यह जानकार हैरानी हो कि ऑस्ट्रेलिया में विशेष रूप से कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ यदि आप धरती में किसी भी आकार का छेद कर दें जो भूमि नीचे जल को धरातल तक आने के लिए एक रास्ता दे तो जल स्वयं बिना किसी उपकरण की सहायता के बाहर निकलने लगेगा। कभी-कभी यह जल तीव्र वेग से निकलता है यद्दपि देखने में यह किसी चमत्कार जैसा लगे लेकिन विज्ञान को समझने वालों के लिए यह एक आम घटना हैं। दरअसल ऐसे कुँए या छेद उन स्थानों पर होते हैं जो सामान्य स्थानों से गहरे होते हैं जैसे कि पूरा का पूरा शहर ही एक गहरे स्थान पर बसा हो तब ऐसे स्थान के नीचे स्थित भूमिगत पानी पर सामान्य स्थानों के नीचे स्थित भूमिगत पानी का दबाव सहना पड़ता है जिस कारण स्थान मिलते ही ऐसे स्थानों का भूमिगत पानी धरातल पर आ जाता है। शर्त ये है कि सामान्य स्थानों का जल स्तर गहरे क्षेत्रों के धरातल से ऊँचा हो तभी यह क्रिया संभव है। इस प्रकार के छिद्रों या कुओं को उत्स्त्रूत कुँए (आर्टेसियन वेल) कहा जाता है।
18. क्या भूतकाल को देख पाना संभव है: जी हाँ... भूतकाल को देख पाना संभव है यदि आप देखना चाहें कि अकबर कैसा दिखाई देता था/ आप जहां आज हैं आज से हजारों साल पहले उस स्थान पर क्या था/ जब आप एक वर्ष के थे तब कैसे दिखाई देते थे/ कोई भी ऐसा व्यक्ति जो इस दुनिया में नही है आप उसे भूतकाल में चलते फिरते व क्रियाएँ करते देख सकते हैं। यद्दपि पहली बार में आपको ये सब असत्य व मनगढ़ंत लगे किन्तु विज्ञान कहता है कि भूतकाल को देख पाना संभव है। किन्तु बाधा ये है कि भूतकाल को देखने के लिए आपको प्रकाश की गति से तेज चलना होगा। मान लीजिए आपकी आयु 25 वर्ष है और आप देखना चाहते हैं कि पाँच वर्ष की आयु में आप कैसे दिखाई देते थे तो आपको प्रकाश की गति से आगे निकलकर पृथ्वी से 20 प्रकाश वर्ष दूर जाना होगा। इतनी दूरी पर जाकर जब आप एक शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से पृथ्वी पर देखेंगे तो स्वयं को 5 वर्ष का पाएँगे व अपना भूतकाल देख सकेंगे। इसी प्रकार से आप जितने प्रकाश वर्ष दूर जाएंगे आपको भूतकाल की उतनी पुरानी तस्वीर दिखाई देगी। यद्दपि यह संभव है किन्तु आसान नही; क्योंकि प्रकाश की गति से तेज चलने का अर्थ भौतिक नियमों को चुनौती देना होगा यद्दपि आने वाले समय में आधुनिक उपकरणों के मदद से शायद ही ऐसा संभव हो पाए। विज्ञान इस क्षेत्र में प्रयासरत है।
19. क्या ब्लैक होल दिखाई देते हैं: जी नही... ब्रहमांड में स्थित ब्लैक होल अर्थात कृष्ण छिद्रों को नही देखा जा सकता है कारण है प्रकाश का इनके गुरुत्वाकर्षण की चपेट में आना। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक शक्तिशाली होता है कि इनकी सतह पर गिरने वाली कोई भी वस्तु पुन: वापिस नही आ सकती इसी प्रकार जब प्रकाश इनकी सतह पर टकराता तो वापिस नही आ पाता और हम किसी भी वस्तु को तभी देख पाएंगे जब उससे टकराने के पश्चात कोई प्रकाश हमारी आँखों की रेटिना पर उसकी छवि बनाएगा। यह क्रिया ब्लैक होल के बारे में पूर्ण नही होती जिस कारण हम इन्हें नही देख सकते। ब्लैक होल के अस्तित्व की जानकारी मात्र इसके आस-पास की वस्तुओं पर पड़ने वाले इसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से ही लगाई जा सकती है।
20. क्या व्यक्ति का गायब होना संभव है: विज्ञान के अनुसार व्यक्ति या कोई भी वस्तु गायब हो सकती है विज्ञान गायब होने को इस प्रकार से परिभाषित करता है “कोई भी वस्तु जिसके आर-पार बिना किसी रूकावट के प्रकाश जा सके गायब (इनविजिबल) कहलाती है” यदि ऐसा मनुष्य शरीर के साथ करना सम्भव हो जाए तो मानव अदृश्य हो सकेगा यद्दपि वह कांच की तरह ठोस भी बना रहेगा। लेकिन जानने योग्य बात ये हैं कि अदृश्य मानव देख नही सकेगा।
21. गायब मनुष्य/ अदृश्य मानव देख नही सकेगा क्या इसका कोई वैज्ञानिक तर्क है:अवश्य है... यद्दपि यह बात थोड़ी अजीब लग सकती है कि अदृश्य मानव देख नही सकेगा लेकिन शत प्रतिशत सत्य है। पीछे के विज्ञान को समझने के लिए आपको यह जानना आवश्यक है कि हमारे रेटिना पर सामने वाली वस्तु से टकराकर आने वाला प्रकाश एक चित्र बनाता है जिस कारण हम उस वस्तु को देख पाते है। यदि मनुष्य अदृश्य होगा तो प्रकाश रेटिना के आर-पार निकल जाएगा अर्थात किसी भी प्रकार का चित्र रेटिना पर नही बनेगा। इस प्रकार हमारा मस्तिष्क किसी भी प्रकार की कोई छवि ग्रहण नही करेगा और अदृश्य अवस्था में कुछ भी देख पाना असंभव होगा। एक अन्य तरीके से यदि सारा शरीर अदृश्य हो लेकिन रेटिना दृश्यवान रहे इस अवस्था में अर्ध-अदृश्य मनुष्य देख पाने में सक्षम होगा।
22. क्या मरने से पूर्व मृत्यु का एहसास किया जा सकता है: आंशिक रूप से हाँ... विज्ञान कहता है कि हमारे अन्दर की वह अनुभूति जो हमें हम बनाती है अर्थात हमारे मस्तिष्क की क्रियाएं/ विचार/ भावनाएं/ खौफ/ समय का बोध इत्यादि ही जीवन है इसके विपरीत जब हम किसी भी प्रकार के विचार/ भावना/ खौफ से अछूते रहते हैं और हमें समय का बोध नही रहता वह स्थिति मृत्यु है। अब मृत्यु का एक आंशिक एहसास करने के लिए आपको सोते समय का वह एहसास याद करना होगा जिस समय आप किसी भी प्रकार के स्वप्न से मुक्त होते हैं तथा आपको किसी भी प्रकार का कोई बोध नही रहता। आप नही जानते आपके आस-पास की क्रियाएं क्या हैं, आप डर से मुक्त होते हैं, आपको समय की तीव्रता का ज्ञान नही रहता जब ये ही स्थिति अनंत हो जाए अर्थात आपको सदियाँ बीत जाने तक का ज्ञान ना रहे तब वह स्थिति मृत्यु कहलाती है।
23. किसी को सांप काटने पर मुँह से चूस कर ज़हर निकालने वाला व्यक्ति क्यों नही मरता: यह एक सामान्य क्रिया है कि जब किसी को सांप काट ले तो उसके पास को कोई समझदार व्यक्ति सर्प दंश लगे स्थान से ज़हर चूस कर बाहर निकाल देता है तथा व्यक्ति की जान बचा ली जाती है। अब प्रशन ये उठता है कि चूसते समय यदि दंश का ज़हर मनुष्य के पेट में भी चला जाए तो वह क्यों नही मरेगा। इसक उत्तर पाने से पूर्व आपको जानना होगा कि मनुष्य पाचन तंत्र इतना शक्तिशाली होता है कि वह सांप के ज़हर आसानी से पचा सकता है। क्योंकि यह ज़हर एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो खाए गए भोजन की सहायता से सांप के शरीर की विष ग्रंथि में बनता है सर्प जब बचाव मुद्रा में होता है तो विष ग्रंथि में बनाए इस ज़हर को दांतों द्वारा मनुष्य शरीर में स्त्रावित करता है रक्त के रास्ते यह ज़हर हृदय के साथ-साथ सभी अंगों में पहुच जाता है। मनुष्य के पाचन तंत्र व अमाशय की तरह रक्त में एंजाइम ना होने के कारण रक्त इस ज़हर को अवशोषित नही कर पाता जिस कारण व्यक्ति मृत्यु द्वार तक पहुंच जाता है। इसीलिए सर्प विष को मुँह द्वारा खाने पर इंसान की मृत्यु नही होती यद्दपि शर्त यह है कि मुँह में किसी भी प्रकार की कोई चोट/ छाले इत्यादि ना हो अन्यथा ये विष को रक्त के सम्पर्क में ले जा सकते हैं।
24. क्या भगवान् का अस्तित्व है: जब भी विज्ञान के समक्ष यह प्रश्न आता है तो वह सदैव ना में ही इसका उत्तर देता है। विज्ञान के अनुसार जो भी आज तक घटित हुआ है, जो कुछ मनुष्य ने ग्रहण किया है, जो भी इस संसार में विद्यमान है, जहाँ तक मनुष्य की बुद्धि समझ पाई है, इनमें से एक भी वस्तु ऐसी नही है जिसे पूर्ण होने में किसी भी प्रकार की अलौकिक शक्ति की आवश्यकता पड़े। अर्थात इन सब क्रियाओं के पीछे भौतिक प्रक्रियाएं ही पर्याप्त हैं। अब बात आती है भगवान् की परिभाषा की धर्म तथा आस्था के अनुसार सम्पूर्ण ब्रहमांड को बनाने वाली अलौकिक शक्ति को भगवान् कहा जाता है इस विषय में विज्ञान कोई टिप्पणी नही करता और इसे एक मिथक मानता है। यद्दपि विज्ञान के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का अस्तित्व अवश्य है यदि उस सकारात्मक ऊर्जा को भगवान् और नकारात्मक ऊर्जा को शैतान कहा जाए तब ही संभव है कि विज्ञान इसका हाँ में उत्तर दे।