भारतीय संविधान : राष्ट्रपति के अनुच्छेद (TRICK)
भारतीय संविधान में जो राष्ट्रपति से सम्बंधित प्रमुख अनुच्छेद है उनको ध्यान में रखते हुए मैने आज दिनांक 06/12/2015 (MADE BY SINGH) को TRICK बनाई है उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयेगी।
भारतीय संविधान : राष्ट्रपति से सम्बंधित अनुच्छेद
TRICK-"राष्ट्रपति पदक पर नविन का दुनिया से मोह आपके क्षमादान से लोकसभा में भंग हो गया"
Note : इस ट्रिक में नविन एक लड़का हे जिसने राष्ट्रपति पदक जीता उसने कुछ अपराध ऐसे किये जिसे सिर्फ राष्ट्रपति ही क्षमादान दे सकते है और कोई नही जिससे उसका दुनिया से मोह भंग हो गया राष्ट्रपति ने उसकी प्रतिभा जो पदक जितने से व्यक्त होती है को देखते हुए क्षमादान लोकसभा में दि, अब नविन को ऐसा लगा की यह मतलबी दुनिया उसे नही बचा सकती थी इसलिए उसका मोह भंग हुआ।
ट्रिक का विस्तृत्व रूप :
राष्ट्रपति पदक पर = राष्ट्रपति, पद+क+पर
1. राष्ट्रपति-राष्ट्रपति से सम्बंधित अनुच्छेद
Fact :
(i). भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।
(ii). भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। अतः राष्ट्रपति नाम मात्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रीमंडल वास्तविक कार्यपालिका हैं।
(iii). राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रधान होते है।
भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक कहलाता है।
1. राष्ट्रपति-राष्ट्रपति से सम्बंधित अनुच्छेद
Fact :
(i). भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।
(ii). भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। अतः राष्ट्रपति नाम मात्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रीमंडल वास्तविक कार्यपालिका हैं।
(iii). राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रधान होते है।
भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक कहलाता है।
2. पद-पद (अनुच्छेद-52)
Fact : राष्ट्रपति निम्न दशाओं में पांच वर्ष से पहले भी पद त्याग सकता है-
(i). उपराष्ट्रपति को संबोधित अपने त्यागपत्र द्वारा।
(ii). महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर (अनुच्छेद 56 एवं 61) महाभियोग के लिए केवल एक ही आधार है, जो अनुच्छेद 61(1) में उल्लेखित है, वह है संविधान का अतिक्रमण।
Fact : राष्ट्रपति निम्न दशाओं में पांच वर्ष से पहले भी पद त्याग सकता है-
(i). उपराष्ट्रपति को संबोधित अपने त्यागपत्र द्वारा।
(ii). महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर (अनुच्छेद 56 एवं 61) महाभियोग के लिए केवल एक ही आधार है, जो अनुच्छेद 61(1) में उल्लेखित है, वह है संविधान का अतिक्रमण।
नविन का = नविन, का
1. नविन-निर्वाचन (अनुच्छेद-54)
Fact : राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल-
(i). इसमें राज्यसभा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचन सदस्य रहते हैं नवीनतम व्यवस्था के अनुसार पांडिचेरी विधान सभा तथा दिल्ली की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है।
(ii). राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए निर्वाचक मंडल के 50 सदस्य प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदक होते है।
(iii). एक ही व्यक्ति जितनी बार चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है।
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(iv). राष्ट्रपति का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है।
(v). राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है निर्वाचन अवैध घोषित होने पर उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं होते हैं।
(vi). पद धारण करने से पूर्व राष्ट्रपति को एक निर्धारित प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख शपथ लेनी पड़ती है।
1. नविन-निर्वाचन (अनुच्छेद-54)
Fact : राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल-
(i). इसमें राज्यसभा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचन सदस्य रहते हैं नवीनतम व्यवस्था के अनुसार पांडिचेरी विधान सभा तथा दिल्ली की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को भी सम्मिलित किया गया है।
(ii). राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए निर्वाचक मंडल के 50 सदस्य प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदक होते है।
(iii). एक ही व्यक्ति जितनी बार चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है।
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(iv). राष्ट्रपति का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है।
(v). राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है निर्वाचन अवैध घोषित होने पर उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं होते हैं।
(vi). पद धारण करने से पूर्व राष्ट्रपति को एक निर्धारित प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख शपथ लेनी पड़ती है।
2. का-कार्यकाल (अनुच्छेद-56)
Fact :
(i). राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। अपने पद की समाप्ति के बाद भी वह पद पर तब तक बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
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Fact :
(i). राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। अपने पद की समाप्ति के बाद भी वह पद पर तब तक बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
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दुनिया से = दु+नि+या, से
1. दु+नि-दुबारा नियुक्ति (अनुच्छेद-57)
2. या-योग्यता (अनुच्छेद-58)
Fact : राष्ट्रपति पद की योग्यता संविधान के अनुच्छेद-58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति होने योग्य तब होगा जब वह-
(i). भारत का नागरिक हो।
(ii). 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(iii). लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो।
(iv). चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो।
Note : यदि व्यक्ति राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्री परिषद का सदस्य तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा।
3. से-शपथ (अनुच्छेद-60)
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1. दु+नि-दुबारा नियुक्ति (अनुच्छेद-57)
2. या-योग्यता (अनुच्छेद-58)
Fact : राष्ट्रपति पद की योग्यता संविधान के अनुच्छेद-58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति होने योग्य तब होगा जब वह-
(i). भारत का नागरिक हो।
(ii). 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(iii). लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो।
(iv). चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो।
Note : यदि व्यक्ति राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्री परिषद का सदस्य तो वह लाभ का पद नहीं माना जाएगा।
3. से-शपथ (अनुच्छेद-60)
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मोह = मोह
1. मोह-महाभियोग (अनुच्छेद-61)
Fact : राष्ट्रपति पर महाभियोग-
(i). राष्ट्रपति द्वारा संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन पर संसद के किसी सदन द्वारा उस पर महाभियोग लगाया जा सकता है, परंतु इस के लिए आवश्यक है, कि राष्ट्रपति को 14 दिन पहले लिखित सूचना दी जाए, जिस पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर हो। संसद के उसे सदन, जिसमें महाभियोग का प्रस्ताव पेश है, के दो तिहाई सदस्यों द्वारा पारित कर देने पर प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा तब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगा या कराएगा और ऐसी जांच में राष्ट्रपति के ऊपर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने वाला प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तब राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया पूरी समझी जाएगी और उसी तिथि से राष्ट्रपति को पद त्याग करना होगा।
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(ii). राष्ट्रपति की रिक्ति को छह महीने के अंदर भरना होता है।
(iii). जब राष्ट्रपति पद की रिक्ति पदावधि (पाँच वर्ष) की समाप्ति से हुई है, तो निर्वाचन पदावधि की समाप्ति के पहले ही कर लिया जाएगा [अनुच्छेद 62(1)] किंतु यदि उसे पूरा करने में कोई विलंब हो जाता है तो
"राज अंतराल" न होने पाए इसलिए यह उपबंध है कि राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद धारण करता रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता है [अनुच्छेद-56(1) ग] ऐसी दशा में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर पाएगा।
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1. मोह-महाभियोग (अनुच्छेद-61)
Fact : राष्ट्रपति पर महाभियोग-
(i). राष्ट्रपति द्वारा संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन पर संसद के किसी सदन द्वारा उस पर महाभियोग लगाया जा सकता है, परंतु इस के लिए आवश्यक है, कि राष्ट्रपति को 14 दिन पहले लिखित सूचना दी जाए, जिस पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर हो। संसद के उसे सदन, जिसमें महाभियोग का प्रस्ताव पेश है, के दो तिहाई सदस्यों द्वारा पारित कर देने पर प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा तब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगा या कराएगा और ऐसी जांच में राष्ट्रपति के ऊपर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने वाला प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तब राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया पूरी समझी जाएगी और उसी तिथि से राष्ट्रपति को पद त्याग करना होगा।
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(ii). राष्ट्रपति की रिक्ति को छह महीने के अंदर भरना होता है।
(iii). जब राष्ट्रपति पद की रिक्ति पदावधि (पाँच वर्ष) की समाप्ति से हुई है, तो निर्वाचन पदावधि की समाप्ति के पहले ही कर लिया जाएगा [अनुच्छेद 62(1)] किंतु यदि उसे पूरा करने में कोई विलंब हो जाता है तो
"राज अंतराल" न होने पाए इसलिए यह उपबंध है कि राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद धारण करता रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता है [अनुच्छेद-56(1) ग] ऐसी दशा में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर पाएगा।
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क्षमादान से = क्षमादान+से
1. क्षमादान+से-क्षमादान से सम्बंधित (अनुच्छेद-72)
Fact : क्षमादान की शक्ति-
(i). संविधान के अनुच्छेद-72 के अंतर्गत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, उसका प्रविलंबन, परिहार और लघुकरण की शक्ति प्राप्त है।
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1. क्षमादान+से-क्षमादान से सम्बंधित (अनुच्छेद-72)
Fact : क्षमादान की शक्ति-
(i). संविधान के अनुच्छेद-72 के अंतर्गत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, उसका प्रविलंबन, परिहार और लघुकरण की शक्ति प्राप्त है।
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लोकसभा में भंग = लोकसभा में भंग
1. लोकसभा में भंग-लोकसभा भंग करने की शक्ति (अनुच्छेद-85)
हो गया-silent
Fact : राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य-
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(i). विधायी शक्तियाँ : राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है इस निम्न विधायी शक्तियां प्राप्त है-
1. संसद के सत्र को आहूत करने सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने संबंधी अधिकार।
2. संसद के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रुप से दोनों सदनों में अभीभाषण करने की शक्ति।
3. लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में सम्मिलित रुप से संसद में अभीभाषण करने की शक्ति।
4. संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून बनता है।
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5. संसद में निम्न विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सहमति आवश्यक है-
(a). नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी विधेयक।
(b). धन विधेयक [अनुच्छेद-117 (1)]
(c). संचित निधि में व्यय करने वाले विधायक [अनुच्छेद-117 (3)]
(d). ऐसे कराधान पर जिस में राज्य ही जुड़े हैं, प्रभाव डालने वाले विधेयक।
(e). राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन लगाने वाले विधेयक।
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1. लोकसभा में भंग-लोकसभा भंग करने की शक्ति (अनुच्छेद-85)
हो गया-silent
Fact : राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य-
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(i). विधायी शक्तियाँ : राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है इस निम्न विधायी शक्तियां प्राप्त है-
1. संसद के सत्र को आहूत करने सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने संबंधी अधिकार।
2. संसद के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रुप से दोनों सदनों में अभीभाषण करने की शक्ति।
3. लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में सम्मिलित रुप से संसद में अभीभाषण करने की शक्ति।
4. संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून बनता है।
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5. संसद में निम्न विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सहमति आवश्यक है-
(a). नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी विधेयक।
(b). धन विधेयक [अनुच्छेद-117 (1)]
(c). संचित निधि में व्यय करने वाले विधायक [अनुच्छेद-117 (3)]
(d). ऐसे कराधान पर जिस में राज्य ही जुड़े हैं, प्रभाव डालने वाले विधेयक।
(e). राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन लगाने वाले विधेयक।
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(ii). संसद सदस्यों के मनोनयन का अधिकार : जब राष्ट्रपति को यह लगे की लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्तियों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है, तब वह उस समुदाय के दो व्यक्तियों को लोकसभा के सदस्य के रुप में नामांकित कर सकता है। इसी प्रकार वह कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान तथा सामाजिक कार्यों में पर्याप्त अनुभव एवं दक्षता रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्यसभा में नामजद कर सकता है।
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(iii). अध्यादेश जारी करने की शक्ति : संसद के स्थगन के समय अनुच्छेद-123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसका प्रभाव संसद के अधिनियम के समान होता है। इसका प्रभाव संसद सत्र के शुरू होने के छह सप्ताह तक रहता है। परंतु राष्ट्रपति राज्य सूची के विषयों पर अध्यादेश नहीं जारी कर सकता, जब दोनों सदन सत्र में होते हैं तब राष्ट्रपति को यह शक्ति नहीं होती है।
(iv). सैनिक शक्ति : सैन्य बलों की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में सम्मिलित है किंतु इसका प्रयोग विधि द्वारा नियमित होता है।
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(v). राजनैतिक शक्ति : दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के नाम से की जाती है। राष्ट्रपति विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों की नियुक्ति करता है एवं भारत में विदेशों के राजदूतों की नियुक्त का अनुमोदन करता है।
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(vi). नियुक्ति संबंधी अधिकार : राष्ट्रपति निम्न की नियुक्ति करता है-
(a). भारत का प्रधानमंत्री,
(b). प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों,
(c). सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों,
(d). भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,
(e). राज्यों के राज्यपाल,
(f). मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त,
(g). भारत के महान्यायवादी,
(h). राज्यों के मध्य संबंध में के लिए अंतर्राज्यीय परिषद के सदस्य,
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(i). संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों,
(j). संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों,
(k). वित्त आयोग के सदस्यों,
(l). भाषा आयोग के सदस्यों,
(m). पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों,
(n). अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों,
(o). भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिको,
(p). अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि।
(a). भारत का प्रधानमंत्री,
(b). प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों,
(c). सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों,
(d). भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,
(e). राज्यों के राज्यपाल,
(f). मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त,
(g). भारत के महान्यायवादी,
(h). राज्यों के मध्य संबंध में के लिए अंतर्राज्यीय परिषद के सदस्य,
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(i). संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों,
(j). संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों,
(k). वित्त आयोग के सदस्यों,
(l). भाषा आयोग के सदस्यों,
(m). पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों,
(n). अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों,
(o). भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिको,
(p). अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ : भारतीय संविधान
Note : ध्यान रहे आपातकाल का विवरण अनुच्छेद 352 से 360 है लेकिन राष्ट्रपति तिन प्रकार की आपात लागु कर सकता है इस ट्रिक में आपको पहला अनुच्छेद-352 याद करने की युक्ति का विवरण होगा बाकी 2 अनुच्छेद कोन से है उसका तरीका है 4 अंक को 352 में जोड़ना अर्थात अनुच्छेद-352, 356, 360 यह तीनो अनुच्छेद तिन प्रकार के आपात लगाने की शक्ति राष्ट्रपति को देते है।
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ट्रिक का विस्तृत्व रूप :
तिब्बत = ति+ब्बत
1. ति-तिन(3)
2. ब्बत-बावन(52)
तिन(3)+बावन(52) = 352 (अनुच्छेद-352)
अब विदेश = अ+ब, विदे+श
1. अ+ब-आक्रमण बाह्य या युद्ध (बाह्य आक्रमण)
2. विदे+श-विद्रोह सशस्त्र (सशस्त्र विद्रोह)
का-silent
Fact : आपातकाल से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान के भाग 18 के अनुच्छेद 352 से 360 के अंतर्गत मिलता है। मंत्री परिषद के परामर्श से राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात लागू कर सकता है।
युद्ध या बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया गया आपात (अनुच्छेद-352).
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तिब्बत = ति+ब्बत
1. ति-तिन(3)
2. ब्बत-बावन(52)
तिन(3)+बावन(52) = 352 (अनुच्छेद-352)
अब विदेश = अ+ब, विदे+श
1. अ+ब-आक्रमण बाह्य या युद्ध (बाह्य आक्रमण)
2. विदे+श-विद्रोह सशस्त्र (सशस्त्र विद्रोह)
का-silent
Fact : आपातकाल से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान के भाग 18 के अनुच्छेद 352 से 360 के अंतर्गत मिलता है। मंत्री परिषद के परामर्श से राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात लागू कर सकता है।
युद्ध या बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया गया आपात (अनुच्छेद-352).
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संतरा = स+तं+रा
1. स+तं+रा-सांविधानिक+तंत्र+राज्यो
(अनुच्छेद-356)
Fact : राज्यो में सांविधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपात (अनुच्छेद-356).
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1. स+तं+रा-सांविधानिक+तंत्र+राज्यो
(अनुच्छेद-356)
Fact : राज्यो में सांविधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपात (अनुच्छेद-356).
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वी दमोह से आयात = वी+द+मोह+से+आयत
1. वी-वित्तीय
2. द+मोह-दो माह (न्यूनतम अवधि)
से-silent
3. आयत-आपात
(अनुच्छेद-360)
Fact : वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360) न्यूनतम अवधि-दो माह।
1. वी-वित्तीय
2. द+मोह-दो माह (न्यूनतम अवधि)
से-silent
3. आयत-आपात
(अनुच्छेद-360)
Fact : वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360) न्यूनतम अवधि-दो माह।
महत्त्वपूर्ण तथ्य :
1. राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय के अनुच्छेद-143 के अधीन परामर्श ले सकता है, लेकिन वह यह परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं है।2. राष्ट्रपति की किसी विधेयक पर अनुमति देने या न देने के निर्णय लेने की सीमा का अभाव होने के कारण राष्ट्रपति जेबी वीटो का प्रयोग कर सकता है, क्योंकि अनुच्छेद-111 केवल यह कहता है कि यदि राष्ट्रपति विधेयक लौटाना चाहता है, तो विधेयक को उसे प्रस्तुत किए जाने के बाद यथाशीघ्र लोटा देगा, जेबी वीटो शक्ति का प्रयोग का उदाहरण है 1986 ई. में संसद द्वारा पारित भारतीय डाकघर संशोधन विधेयक जिस पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने कोई निर्णय नहीं लिया।
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3. राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते : राष्ट्रपति का मासिक वेतन डेढ़ लाख रुपया है। राष्ट्रपति का वेतन आयकर से मुक्त होता है। राष्ट्रपति को निशुल्क निवासस्थान व संसद द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते प्राप्त होते हैं। राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनके वेतन तथा भत्ते में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती है। राष्ट्रपति के लिए नौ लाख रुपए वार्षिक पेंशन निर्धारित किया गया है।
4. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे लगातार दो बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
5. डॉ.एस.राधाकृष्णन लगातार दो बार उप-राष्ट्रपति तथा एक बार राष्ट्रपति रहे।
6. केवल वी.वी.गिरी के निर्वाचन के समय दूसरे चक्र की मतगणना करनी पड़ी।
7. केवल नीलम संजीव रेड्डी ऐसे राष्ट्रपति हुए जो एक बार चुनाव में हार गए फिर बाद में निर्विरोध राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
8. भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल है।
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