गुप्तकाल से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न भी सभी प्रतियोगी परीक्षाओ में अक्सर पूछे जाते है इन्ही को ध्यान में रखकर अंतिम 10 वर्षो में पूछे जा रहे प्रश्नो को आज दिनांक 06/10/20015 को मेने दो महत्त्वपूर्ण टॉपिक पहला गुप्तकालीन प्रसिद्ध मंदिर और चन्द्रगुप्त-ll के दरबार के विद्वानों के उपर ट्रिक बनाई है उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी।
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Made by Singh [06/10/2015]
गुप्तकालीन : प्रसिद्ध 6 मंदिर और स्थान/शहर/राज्य
Trick-पान के लिए तिज को विष्णु और शिव का भूखा नाग MP से UP में देव झा को दंश करके कानपुर के भीतर गया।
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NOTE-MP में मंदिर और स्थान के लिए "पान के लिए तिज (हिन्दू तिथीं) को विष्णु और शिव का भूखा नाग" तक ट्रिक है और UP में मंदिर और स्थान के लिए "देव झा को दंश करके कानपूर के भीतर गया" तक ट्रिक है।
[1]
पान के=पा+न+के
पा-पार्वती मंदिर
न+के-नयना कुठार (मध्य प्रदेश)
लिए-silent
[2]
तिज को विष्णु=ति+ज+को विष्णु
ति+ज-तिगवा,जबलपुर(मध्य प्रदेश)
को विष्णु-विष्णु मंदिर
और-silent
[3]
शिव का भूखा नाग=शिव का+भू+खा+नाग
शिव का-शिव मंदिर
भू+खा+नाग-भुमरा और खोह,नागौदा (मध्य प्रदेश)
Fact-शिव मंदिर मध्य प्रदेश के नागौदा के पास भुमरा और खोह नामक 2 स्थानों पर अलग अलग है।
MP से-अभी तक के सभी ऊपर के 4 मंदिर MP में स्थित है।
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[4]
UP में-बचे हुए 2 मंदिर UP में स्थित है।
देव झा को दंश=देव+झा को+दंश
देव+झा को-देवगढ़,झाँसी(उत्तर प्रदेश)
दंश-दशावतार मंदिर
करके-silent
[5]
कानपूर के भीतर=कानपूर के+भीतर
कानपूर के-भीतर,कानपुर(उत्तर प्रदेश)
भीतर-भीतर मंदिर/लक्ष्मण मंदिर (ईंटो द्वारा निर्मित)
गया-silent
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पान के=पा+न+के
पा-पार्वती मंदिर
न+के-नयना कुठार (मध्य प्रदेश)
लिए-silent
[2]
तिज को विष्णु=ति+ज+को विष्णु
ति+ज-तिगवा,जबलपुर(मध्य प्रदेश)
को विष्णु-विष्णु मंदिर
और-silent
[3]
शिव का भूखा नाग=शिव का+भू+खा+नाग
शिव का-शिव मंदिर
भू+खा+नाग-भुमरा और खोह,नागौदा (मध्य प्रदेश)
Fact-शिव मंदिर मध्य प्रदेश के नागौदा के पास भुमरा और खोह नामक 2 स्थानों पर अलग अलग है।
MP से-अभी तक के सभी ऊपर के 4 मंदिर MP में स्थित है।
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[4]
UP में-बचे हुए 2 मंदिर UP में स्थित है।
देव झा को दंश=देव+झा को+दंश
देव+झा को-देवगढ़,झाँसी(उत्तर प्रदेश)
दंश-दशावतार मंदिर
करके-silent
[5]
कानपूर के भीतर=कानपूर के+भीतर
कानपूर के-भीतर,कानपुर(उत्तर प्रदेश)
भीतर-भीतर मंदिर/लक्ष्मण मंदिर (ईंटो द्वारा निर्मित)
गया-silent
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महत्त्वपूर्ण बिंदु :
(1)
गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुयायी थे।
(2)
गुप्तकाल में वैष्णव धर्म संबंधी सबसे महत्त्वपूर्ण अवशेष देवगढ़ (झाँसी) का दशावतार मंदिर है।
(3)
अजंता में निर्मित कुल 29 गुफाओ में वर्तमान में केवल 6 ही शेष है, जिनमे गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन है। इसमे गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्रशंसनीय है।
(4)
गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्रशाला कहा गया है। इस चित्रशाला में बिद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से सम्बंधित चित्र उद्धृत किए गए है।
(5)
अजंता की गुफ़ाएँ बौद्धधर्म की महायान शाखा से सम्बंधित है।
(6)
गुप्तकाल में निर्मित अन्य गुफा बाघ की गुफा है, जो ग्वालियर के समीप बाघ नामक स्थान पर विंध्यपर्वत को काटकर बनायीं गयी थी।
(7)
मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में ही हुआ।
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(1)
गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुयायी थे।
(2)
गुप्तकाल में वैष्णव धर्म संबंधी सबसे महत्त्वपूर्ण अवशेष देवगढ़ (झाँसी) का दशावतार मंदिर है।
(3)
अजंता में निर्मित कुल 29 गुफाओ में वर्तमान में केवल 6 ही शेष है, जिनमे गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन है। इसमे गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्रशंसनीय है।
(4)
गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्रशाला कहा गया है। इस चित्रशाला में बिद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से सम्बंधित चित्र उद्धृत किए गए है।
(5)
अजंता की गुफ़ाएँ बौद्धधर्म की महायान शाखा से सम्बंधित है।
(6)
गुप्तकाल में निर्मित अन्य गुफा बाघ की गुफा है, जो ग्वालियर के समीप बाघ नामक स्थान पर विंध्यपर्वत को काटकर बनायीं गयी थी।
(7)
मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में ही हुआ।
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गुप्तकाल : चन्द्रगुप्त-ll के 5 प्रमुख दरबारी विद्वान
[1]
चन्द्रगुप्त के-चन्द्रगुप्त-ll के दरबार में रहने वाले प्रमुख विद्वान
काल में-कालिदास
आवारा=आ+वारा
[2]
आ-आर्यभट्ट
[3]
वारा-वाराहमिहिर
[4]
धन-धन्वन्तरि
[5]
बहुत-ब्रम्हगुप्त
था-silent
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[2]
आ-आर्यभट्ट
[3]
वारा-वाराहमिहिर
[4]
धन-धन्वन्तरि
[5]
बहुत-ब्रम्हगुप्त
था-silent
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महत्त्वपूर्ण बिंदु :
(1)
चन्द्रगुप्त-ll के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास थे।
(2)
चन्द्रगुप्त-ll के दरबार में रहनेवाला आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरि थे।
(3)
आर्यभट्ट ने आर्यभट्टियम एवं सूर्यसिद्धांत नामक ग्रन्थ लिखे। इसी ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।
(4)
पुराणों की वर्तमान रूप में रचना गुप्तकाल में हुई। इसमें ऐतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख है।
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(5)
सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।
(6)
याज्ञवल्क्य, नारद, कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना गुप्तकाल में ही हुई।
(7)
समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त-ll हुआ जो 380 ई. में राजगद्दी पर बैठा। शको पर विजय के उलक्ष्य में चन्द्रगुप्त-ll ने चाँदी के सिक्के चलाए। इसके शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान भारत आया था।
(8)
गुप्तकाल में चाँदी के सिक्को को रूप्यका कहा जाता था।
(9)
गुप्तकाल में विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र संस्कृत भाषा में संसार का सर्वाधिक प्रचलित ग्रन्थ माना जाता है। बाइबिल के बाद इसका दूसरा स्थान है। इसे पाँच भागो में बाँटा गया है-
(i)
मित्रभेद
(ii)
मित्रलाभ
(iii)
संधि-विग्रह
(iv)
लब्ध-प्रणाश
(v)
अपरिक्षाकारित्व।
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(1)
चन्द्रगुप्त-ll के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास थे।
(2)
चन्द्रगुप्त-ll के दरबार में रहनेवाला आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरि थे।
(3)
आर्यभट्ट ने आर्यभट्टियम एवं सूर्यसिद्धांत नामक ग्रन्थ लिखे। इसी ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।
(4)
पुराणों की वर्तमान रूप में रचना गुप्तकाल में हुई। इसमें ऐतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख है।
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(5)
सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।
(6)
याज्ञवल्क्य, नारद, कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना गुप्तकाल में ही हुई।
(7)
समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त-ll हुआ जो 380 ई. में राजगद्दी पर बैठा। शको पर विजय के उलक्ष्य में चन्द्रगुप्त-ll ने चाँदी के सिक्के चलाए। इसके शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान भारत आया था।
(8)
गुप्तकाल में चाँदी के सिक्को को रूप्यका कहा जाता था।
(9)
गुप्तकाल में विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र संस्कृत भाषा में संसार का सर्वाधिक प्रचलित ग्रन्थ माना जाता है। बाइबिल के बाद इसका दूसरा स्थान है। इसे पाँच भागो में बाँटा गया है-
(i)
मित्रभेद
(ii)
मित्रलाभ
(iii)
संधि-विग्रह
(iv)
लब्ध-प्रणाश
(v)
अपरिक्षाकारित्व।
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